Dr Viyatprajna Acharya
शुक्रियालॉकडाउन !
अजीबलगताहैन ,
परयहसचहै —
इतनेसालोंमें
धरतीजैसेसाँसलेरहीअब ,
भागतेभागते
हाँफतेहाँफते
वक्तजैसेठहरगयीहै l
उफ्फ़ ….
सातसेपाँचस्कूल ,
फिरटयूसन
इतवारकोभीभलाकहाँथाचैन ??
घरतोएक
ठहरावथाबस ,
कुछदेररातमें
स्वप्न-बिहीनबिस्तरपे
लेटनेकी I
देखियेन !
कितनेफूलमैंनेबटोरेहैं !
गमलेकेपेड़सहला-सहलाकर
बायोलॉजीपढ़तीहूँअब !
झाँझा (कैटरपिलर ) सेतितली
बननेकासचदेखतीहूँ …
औरअपनेसपनेबुनतीहूँ I
हाँ, मैंनेझाड़ूलगाया ,
घरभीपोछालगाया,
लेकिनपरिवारकाहिस्साबननेमें
बहुतमज़ाभीआया I
मैंनेआटागूंदा
रोटियांसेकीं ,
चाहेथोड़ीटेढ़ीमेढ़ी
गोलचोकौरक्योंनाबनाई I
मेरेकपकेक , मोमो
पापामम्मीकेमनमें
जैसेअमृतबरसाया I
देखियेन !
पीठसेबिसकिलोकाबोझाक्याहटी
मैंदोसेंटीमीटरलम्बीभीहुईहूँ I
थैंक्यूलॉकडाउन !
मुझेपतानथा
मम्मीएककहानीकापिटाराहै ,
चलतीफिरतीमहाभारतरामायणकी
कथाधाराहै I
मैंनेतोबसउन्हेंदौड़ते, भागते , हाँफते
थकेहारे, लेटतेदेखाहै I
इसलॉकडाउनमें
पापाकोभीएक
कलाकारबनतेदेखाहै I
दोस्तोंकेसाथमस्ती
जरूरयादआतीहै,
लेकिनमेरीनटखटबेहेन ,
व्हाट्सप्प , इंस्टाग्राम
कहाँबोरहोनेदेतींहैं ???
शुक्रियालॉकडाउन !
मैंनेआँखेंभरकर
आसमानकोनिहाराहै ,
सुबहशामकीगुलाबीआसमानमें
सपनोंकेरंगोंकोघोलीहूँ;
थोड़ीदेरहीसही
मैंनेअपनीअंदरझांकाहै I
बादलोंकेआकारमें
मुझेकभीजिराफ ,
तोकभीएकराजकुमारदिखाहै l
बाहरजानसकोतो
थोड़ीदेरअंदरझांकतेहैंन !
कितनासुकूनहै —
अपनेसाथएकात्महोना
उसअनंततामेंरमतेजाना
कितनाअच्छालगा
आँखेंमूँदेध्यानलगाना !
सालमेंएकमहीना
जरूरलॉकडाउनहो
हरकोईथोड़ाठहरें
साँसलें ,
अपनीबगलवालीमौसीके
साथदोमीठेबोलबोललें I
अपनीपरिवारकेसाथ
नीचेदरीबिछाकर
थोड़ीलूडो , तासखेललें I
धरतीरुकेगी , सांसलेगी
शान्तिलौटेगी —
तभीसृजनशीलताबढ़ेगी
विज्ञानप्राणोंकेउपकारकरेगी
अर्थनीतिभीदौड़पड़ेगी …
शुक्रियालॉकडाउन !
शुक्रिया, तहेदिलशुक्रिया !
हमेंसहीराहदिखानेकेलिए …..